एल्विस प्रेस्ली : द किंग ऑफ़ राक एंड रोल


बीसवीं सदी में विश्व संगीत को नयी दिशा देने वाले फनकारों की यदि कोई सूची बनाई जाये तो क्या वह एल्विस प्रेस्ली के जिक्र के बिना पूरी होगी. ८ जनवरी १९३५ को अमेरिका के निहायत गरीब परिवार में जन्मे एल्विस ने आधुनिक संगीत को देश-दुनिया की दीवारों से परे ले जाकर संस्कृति की एक नयी लहर पैदा की. राक एंड रोल संस्कृति.

अपनी मन के बेहद करीब रहे एल्विस का संगीत के प्रति रुझान पैदा हुआ रोजाना की चर्च यात्रा के दौरान. धीरे-धीरे यह सिलसिला चल निकला. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत गोस्पेल संगीत से ही की.

६० का दशक प्रेस्ली का स्वर्णकाल था. यह वह दौर था जब उनके गीत संगीत, फिल्मों और पेर्सोनालिटी का करिश्मा सारी दुनिया के सर चढ़ के बोल रहा था. आई वांट यू, आई नीद यू, आई लव यू, शे इस नोट यू, डोंट बे क्रुएल समेत एल्विस के अनेक गीतों ने धूम मचा कर रखा दी. १९७३ में एल्विस ने लास वेगास में सेटलाईट की मदद से एतिहासिक ग्लोबल लाइव कंसर्ट दिया जिसे दुनिया भर में १.५ अरब लोगों ने देखा.

इस बात पर कौन यकीन करेगा की संगीत के इस बादशाह के पास इस नाजुक विधा की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं थी. उन्होंने रेडियो और जुकेबोक्स पर संगीत सुन कर अपने अन्दर की काबिलियत को इतना मांजा की उनकी मौत के तीन दशक बाद भी दुनिया उनकी धुनों पर झूम रही है.
देश विदेश में युवाओं को स्टाइल आइकोन माने जाने वाले एल्विस के फैशन की नक़ल करते आज भी देखा जा सकता है.अभी तक पोपुलर म्यूजिक में कोई दूसरा गायक प्रेस्ली के आसपास भी नहीं फटक सका है.

द किंग ऑफ़ राक एंड रोल को उनके जन्मदिन पर दुनिया भर के करोडो संगीत प्रेमियों की याद

3 comments:

अरविन्द श्रीवास्तव ने कहा…

शुभकामनाएं, रोचक जानकारी के लिये आभार...!

शशिभूषण ने कहा…

अच्छा स्मरण है.मेरी स्मृति में एक कलाकार जुड़ गया.कोई भी विधा हो औपचारिक शिक्षा लेकर तो प्रतियोगी ही पैदा होते रहे हैं या फिर कामकाजी कलाकार नहीं.कला अपना स्कूल आप होती है.करियर,सफलता ये उपयोगितावादी शब्द हैं.किसी भी सच्चे कलाकार की यात्रा को रियाज़ या अभ्यास जैसे शब्दों से समझा जाना चाहिए.जिन्हें साधना से परहेज हो वे सफल होते रहें...

saloni ने कहा…

ye sandeep kaun maan rahe... are readeya liye hai bhai city bhaskar mein... ab eeha bhi padhe...??? kauno nai kavita post karo